कभी मिल सको तो इन पंछियो की तरह बेवजह मिलना
वजह से मिलने वाले तो न जाने हर रोज़ कितने मिलते है।।
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फिर से मुझे मिट्टी में खेलने दे ऐ जिन्दगी,
ये साफ़ सुथरी ज़िन्दगी, उस मिट्टी से ज्यादा गन्दी है..
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लफ़्ज़ों को यू कम ना आकिए साहब,
चंद जो इक्कठे हो जाए तो ‘शेर’ हो जाते हैं..
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